आध्यात्मिकता क्या है ?
जब कभी भी हम “आध्यात्मिकता” शब्द सुनते है तो यही सोचते है की एक ऐसा इंसान जो जंगलों में घूमता हो, अपना समय पूजा और ध्यान में बिताता हो | हम सबके दिमाग में एक पहले से बनाई हुई अवधारणा है कि आध्यात्मिक होने का मतलब घर बार छोड़ कर सन्यासी बन जाना है, सामाजिक जिम्मेवारियों से दूर भागना है, अगर आप अपनी इच्छा आध्यामित्कता में दिखायेंगे तो घर, परिवार के लोग आपको उस दिशा में बढ़ने से रोकने की हरसंभव कोशिश करेंगे | समझदारी में यही सबसे बड़ी कमी है |
कोई इस सांसारिक दुनिया में रह कर भी आध्यात्मिक हो सकता है | आध्यात्मिक साधनाओं को करते हुए भी, कोई सामाजिक रूप से और ज्यादा जिम्मेवार हो सकता है | बहुत सारे लोगों ने अलग-अलग समय पर आध्यात्मिकता को परिभाषित किया है|
मैत्रेय दादाश्रीजी ने बहुत ही आसान शब्दों में बताया –‘स्वाभाविक होना ही आध्यात्मिक होना है|” वो कहते हैं कि आध्यात्मिकता ‘सरल’ शब्द से भी अधिक सरल है |
जब मैंने गहराई में जा कर इसे समझने की कोशिश की तब मैंने इसे और अच्छे तरीके से आंतरिक स्तर पर समझा | मैंने पाया यह हमारी आंतरिक दुनिया से सम्बंधित है | यह बाहरी पहनावे से, ध्यान और नियम करम के बारे में नहीं है | ध्यान करना, नियम धर्म करना सिर्फ सहायक रास्तों में से एक है |
आध्यात्मिकता का सही अर्थ समझना बहुत ही आसान है जबकि इसे एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया के नजरिये से देखा जाता है | कोई भी व्यक्ति अपनी आंतरिक स्थिति के बारे में जान सकता है, यह सबका जन्मसिद्ध अधिकार है
कि कोई भी अपने वास्तविक स्वभाव को समझे | इसके लिए कोई निश्चित परिसीमा नहीं है, कोई मानदंड नहीं है | अपने आपको बेहतर और स्पष्ट तरीके से जब हम समझ पाते हैं, तब जीवन की उच्चतम संभावनाओं के द्वार खुल जाते हैं | कोई अपने छुपे हुए क्षमताओं, गुणों और योग्यताओं को समझ सकता है, अपने जीवन के उद्देश्य को समझ सकता है और एक बेहतर जीवन जी सकता है | अगर कोई अपनी क्षमताओं को पूर्ण रूप से निखारता है,
अपनी योग्यताओं को शिखर पर ले जाता है तब इससे सिर्फ व्यक्ति विशेष का ही नहीं बल्कि पुरे समाज के लिए उपयोगी होता है |
आध्यात्मिकता का मतलब अपने मूल आंतरिक सतह से जुड़ना भी है | इसका किसी धर्म या मजहब से, धारणाओं से या साधनाओं से कोई लेना देना नहीं है | यह सिर्फ बेहतर जीवन जीने का मार्ग दिखलाता है | हम सब स्वस्थ और प्रसन्न रहना चाहते हैं | हम एक अच्छा जीवन जीना चाहते हैं |
हम अपने करियर में उत्कृष्ट प्रदर्शन करना चाहते हैं | ये सारी चीजें आध्यात्मिकता का पालन करते हुए पाया जा सकता है|
आध्यात्मिक होने का मतलब बिल्कुल भी ऐसा नहीं है कि कोई हवा में उड़ने लगें और कोई जादू टोना करने लग जाएँ | इसका सामान्य सा मतलब धीरे-धीरे प्रेम बनना है | जैसे आप देखते हैं कि हमारी प्रकृति हमसे बिना किसी अपेक्षा के, बिना किसी शर्त के प्यार करती है, उदाहरण के लिए – सूर्य की रौशनी, हवा, पृथ्वी माँ इत्यादि |
वैसे ही सबको बिना किसी अपेक्षा के प्यार करना, मुस्कुराते रहना, हमेशा सबकी मदद करने की भावना रखना, निस्वार्थ सेवा और माफ़ करने की प्रवृति, ये सब एक अध्यात्मिक व्यक्ति को परिभाषित करता है | ये सारे गुण हमारी जिन्दगी को और खूबसूरत व् शांतिपूर्ण बनाते है | ये कभी भी हमें सामाजिक रूप से गैर जिम्मेवार नहीं बनाते है | ये हमें एक खुशनूमा इंसान बनाते है और एक खुशहाल जिन्दगी ही हमारी जरुरत है | अधिकतम पाने के लिए अपनी आंतरिक यात्रा की शुरूआत करें |
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