भक्ति राह
ढूँढती रही
मैं वो हर राह
जो तुम तक जाती हो
मीलों तय किया सफर
झंझावातों में उलझे डगर
इस शहर से उस शहर
नीली शाम से सहर
बुनती रही
प्यार में डूबे गीत
जो तुमको पिघलाती हो
सफेद रुई के फाहों जैसे
बादलों के पहाड़
किसी ने यूँ ही कह दिया
तुम मिलोगे उस पार
अतिशय उत्कंठा की वजह से
पंख उग आये मेरी बाजुओं पर
नाप लिया आसमान सारा
धरती पर पाँव रखकर
तलाशती रही
वो हर एक निशाँ
जो तुम्हारा पता बताती हो
तरसती रही
मंदिरों, दरगाहों पर सारे नियम निभाती रही
जो तुमको रिझाती हो
हे ईश!
तुमसे प्रिय मुझे कोई और नहीं
मेरे प्यार में कहीं भी मैं नहीं
जीवन विहीन हूँ सीढ़ियों पर
आज मेरे पैरों में ताकत नहीं
तुमको भी हो प्यार अगर
राह तुम बना लो
जो मुझ तक आती हो
अब तलक
ढूँढ़ती रही
मैं वो हर राह
जो तुम तक जाती हो।
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