आध्यात्मिक लोगों की मुख्य सात विशेषताएँ

आज कल के समय में आध्यात्मिकता के बारे में खूब बातें होती है, एक तरीके से यह शब्द आम बोल चाल की शब्दावली में सम्मिलित हो गया है | बहुत सारे लोग स्वयं के आध्यात्मिक होने का दावा करते हैं | जो लोग शारीरिक व्यायाम योगाभ्यास करते हैं या कुछ समय किसी के कहने पर आँखें बंद कर ध्यान में बैठ जाते हैं या कुछ पुस्तकें पढ़ लेते हैं, वो लोग भी अपने आपको आध्यात्मिक मानते हैं | हमारे चारों तरफ बहुत सारे शिक्षक हैं, ज्ञान देने वाले विद्वान हैं जो अपने आपको उच्च स्तर पर मानते हैं | आध्यात्मिकता पर बहुत सारी किताबें पढ़ लेने से लोगों को प्रक्रियायों, शब्दों, नियमों का ज्ञान हो जाता है | कुछ विशेष साधनाएँ करने पर कुछ लोग सिद्धि भी प्राप्त कर लेते हैं, ऐसे सभी लोग आध्यात्मिक समझे जाते हैं | वास्तव में आध्यात्मिकता सिर्फ बातों के बारे में नहीं हैं | यह दिखावा भी नहीं होता है | और इसकी गहराई को नापने के लिए हमारे पास कोई पैमाना उपलब्ध नहीं है | हाँ, कोई विशिष्ट उच्च श्रेणी के अगर गुरु के सान्निध्य में जाएँ, तब उनसे कुछ छुपा नहीं रहता है | उनकी आंतरिक दृष्टि सब कुछ माप लेती है, लेकिन ऐसे गुरु का मिलना थोड़ा मुश्किल होता है |

एक वास्तविक आध्यात्मिक इन्सान किसी भी साधारण आदमी की तरह दिखता है | उसे आध्यात्मिक दिखने के लिए किसी खास पहनावे या वेशभूषा की जरुरत नहीं होती है | वह किसी भी साधारण इन्सान की तरह अपना जीवन जीते हैं लेकिन साथ ही वो अपने अस्तित्व के मूल से जुड़े होते हैं | हालाँकि ऐसे कुछ लोग होते हैं जो विशेष पहनावा पहनते हैं, किसी विशेष संप्रदाय या परम्परा से जुड़े होते हैं, या साधू संतों का जीवन अपनाते हैं | लेकिन सिर्फ साधू ही आध्यात्मिक होंगे, ऐसा नहीं होता है |

आध्यात्मिक लोग सांसारिक जीवन जीते हैं, जो भी रोजाना की जिन्दगी है, उसे जीते हैं | वह अपने सारे दायित्वों का निर्वाह करते हैं और जो कार्य जरूरी है, वह सब वो करते हैं | अगर आपका हृदय जागृत है, तब आप ऐसे लोगों को बहुत ही आसानी से पहचान सकते हैं | इनकी तुलना किसी वृक्ष से की जा सकती है जिसकी जड़ अस्तित्व की गहराई से जुड़ा होता है और पत्ते आसमान की तरफ होते हैं फिर भी यह जमीन पर सीधा खड़ा होता है | वैसे तो आध्यात्मिक लोगों के बहुत सारे गुण होते हैं | यहाँ मैंने कुछ विशेष विशिष्टताओं के बारे में उल्लेख किया है, जिससे आप किसी आध्यात्मिक व्यक्ति के बारे में जान सकते हैं |

1)      अन्तःज्ञान         

 

एक आध्यात्मिक व्यक्ति आंतरिक रूप से खूबसूरत होता है और उसका अन्तः ज्ञान उससे झलकता है | वो कभी भी किसी किताब से पढ़ कर नहीं पढ़ाते हैं, वो हमेशा अपने अन्तः ज्ञान से सीखाते हैं | ज्ञान का सम्बन्ध सूचनाओं से या तथ्यों से नहीं होता है | यह भीतर से आता है | कुछ लोग ज्ञान को जानकारी रखना समझते हैं | बहुत सारी जानकारी रखने वाले लोग शास्त्री या पंडित माने जाते हैं जो किसी भी ग्रन्थ से कहीं से भी उदाहरण देने में समर्थ होते हैं, तथ्यों को प्रमाणित करने की प्रभुता रखते हैं | आध्यात्मिक व्यक्ति वास्तव में जानने वाले होते हैं, जो अपने ही अन्तः का सर्वप्रथम अनुभव करते हैं | सामान्यतया वह कभी शिक्षा नहीं देते हैं, जब तक उन्हें अन्तः प्रेरणा या दैविक प्रेरणा न हो कि वह दुनिया से अपने वास्तविक ज्ञान को साझा करें |

2)      उपस्थिति

एक आध्यात्मिक व्यक्ति की उपस्थिति में एक विशेष प्रकार का आकर्षण होता है | कोई अपने आपको स्वतः ही उनकी तरफ आकर्षित महसूस करता है | उनकी आँखें बोलती है, उनकी मुस्कान में बिना कहे भी प्रेम के शब्द झड़ते हैं और उनकी उपस्थिति से शांति प्रसारित होती है | अगर किसी को ऊर्जा पहचानने की परख है, वो इसे आसानी से समझ सकते हैं | अगर यह क्षमता किसी में नहीं है तब भी वो यह महसूस कर सकते हैं कि उनकी उपस्थिति में कोई खास बात है | यह उस व्यक्ति के प्रभामंडल का असर होता है जो प्रेम और शांति से भरा होता है | अगर आप उनके करीब जाते हैं, उनकी वह ऊर्जा आपको भी अपने घेरे में ले लेगी और आप हल्का महसूस करेंगे, उनके सान्निध्य में खुद को शांत और तनाव मुक्त महसूस करेंगे |

3)      सामंजस्य

 

आध्यात्मिक व्यक्ति समरसता के साथ जीवन जीते हैं | प्रकृति के साथ सामंजस्य, वातावरण के साथ सामंजस्य, रिश्तों में सामंजस्य और जीवन में हर जगह वो सामंजस्य स्थापित करते हैं | वो शांतिपूर्ण जीवन जीने का मूल मंत्र जानते हैं  | वो अपने भीतर, स्वयं की ऊर्जा के साथ सामंजस्य रखते हैं और वही ऊर्जा उनसे प्रसारित होती है | उनमें संघर्षों का सामना करने का सामर्थ्य होता है और उनके चारों ओर शांति को महसूस किया जा सकता है | सभी परिस्थितियों में वो आंतरिक रूप से स्थिर होते हैं और उनके कार्य हमेशा संतुलित होते हैं |

4 ) संवेदनशीलता और पूर्वाभास

आध्यात्मिक व्यक्ति बेहद संवेदनशील होते हैं | इसका मतलब कतई यह नहीं है कि जीवन में घटनेवाली सारी छोटी घटनाओं पर ऐसे लोग तिलमिला जाते हैं | ये लोग अपने आस पास की ऊर्जा के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं | ऐसे लोग आने वाली घटना क्रमों के बारे में पहले से भाँप लेते हैं, इनकी देखने और सुनने की क्षमता तीक्ष्ण हो जाती है | ये लोग दूरस्थ आवाजों और तरंगों को समझ जाते हैं | इनकी पूर्वाभास की क्षमता बढ़ जाती है और यही पूर्वानुमान इन्हें जीवन जीने में मदद करता है |

5 ) अहंकार से दूर

जब जागरूकता बढ़ती है, तब उन्हें अपने भीतर अहंकार के सभी सूक्ष्म सतहों का भान हो जाता है, जिससे एक झूठी पहचान बनती है | वो रोजमर्रा की जिन्दगी जीते हैं, लेकिन आंतरिक स्तर पर सभी चीजों के क्षणभंगुरता और नकलीपन से अवगत रहते हैं | वो संसार में रहते हुए भी मन और शरीर के परे होते हैं | अत्यंत सीधे और सौम्य रहते हुए हर प्रकार के अहंकार से दूर रहते हैं |

6) एकात्म का अनुभव

चेतना के विकास के साथ, उन्हें ज्ञान की प्राप्ति होती है और तब वो जान जाते हैं कि सभी एक हैं | सबका शरीर पञ्च तत्त्वों से ही बना हुआ है और सभी आत्माएँ एक दुसरे से जुड़ी हुई हैं | इस ब्रह्माण्ड में कहीं कोई भेद भाव नहीं है, सिर्फ बाह्य रूप भिन्न है लेकिन मूल चीज एक ही है |इसलिए ऐसे लोग एकात्म के अनुभव में रहते हैं | प्रकृति के साथ एकरूप होते हैं, सभी जीवों के साथ और परमात्मा के साथ एकाकार रहते हैं | ये लोग धर्म, जाति, रंग, देश, मान्यताओं इत्यादि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं रखते हैं | वो जानते हैं सभी एक हैं और सभी राहें एक ही मंजिल तक जाती है |

7) प्रेम की अवस्था

वास्तव में किसी आध्यात्मिक साधक की जो सर्वोच्च अवस्था होती है, वह प्रेम की अवस्था होती है | जब किसी को मुक्ति मिलती है, मोक्ष या बुद्धत्व प्राप्त होता है या कोई सिद्धि प्राप्त होती है, यह सिर्फ आधी यात्रा होती है | जो कोई भी सर्वोच्च स्थिति को प्राप्त होता है, उससे हर क्षण सिर्फ प्रेम विकरित होता है | सतत प्रेम और करुणा ही वास्तव में सच्चा आध्यात्मिक गुण होता है |

 

कीवर्ड – आध्यात्मिक लोगों की क्या विशेषताएँ होती हैं ? आध्यात्मिक गुण क्या होते हैं ? क्या सिद्धि पाना आध्यात्मिक ऊँचाई है ? मुझे कैसे पता चलेगा मैं आध्यामिक पथ पर हूँ ? कोई आध्यात्मिक है या नहीं, यह कैसे पता चलेगा ?

आध्यात्मिकता क्या है ?





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