मेरे आसमान में
मेरे आसमान में, जब से तुम
चाँद बन के झिलमिलाने लगे हो
मैं उन्मुक्त दरिया बन बहने लगी हूँ
दूर कहीं धरा क्षितिज को मिलते देख
मैं भी आलिंगन के लिए तिरने लगी हूँ
मुझमे गहराई भी
है और मौजें भी
ध्यान में लीन चित्त
की तरह
सहेजी है अन्दर
कहीं मैंने शांति भी और शीतलता भी
पारदर्शी बूँदों
से बना है अंग मेरा
तुम्हारी चाँदनी
में मोती बन बिखरने लगी हूँ
आँखें मेरी तुम
पर टिकी हैं
राहों के पहाड़
और जंगल दिखते नहीं मुझको
सबको लाँघती
हुई, तुम तक आने को हूँ आतुर
मौसम की भी
परवाह नहीं है मुझको
मैं चंचल बाला-सी
अल्हर बनने लगी हूँ
मेरी काया निर्मल भी है और निरंतर भी
कण-कण में है निहित संगम की चाह ही
सागर के सीने
पर तुम्हारा प्रतिबिम्ब जो जगमगाया
मैं समंदर में
समाने लगी हूँ
दूर नीले आसमान
में अगर गले लगाओ
मैं सूरज की
अग्नि में तप कर
सफेद बादल बन
तुम तक आ जाऊँ
मेरी रफ्तार
में तुम्हारा ही तो प्यार है
कभी मिलने की
उम्मीद में, मैं जीने लगी हूँ |
benefits of spiritual practices
why people do spiritual practices
what are the benefits of spirituality
Comments
Post a Comment