कविता उदास है
आँखों में आँसू का कतरा भी नहीं
जुबान पे अल्फाज की भी कमी नहीं
रंग-ही-रंग बिखड़े पड़े हैं
जिन्दगी के चहुँ ओर
हर्ष है, उल्लास है
फिर भी
ये कविता उदास है
आसमान में चाँद भी थिरक रहा
दुधिया रोशनी में, मैं सरोबार हूँ
पंखों ने तय कर रखी है
कई मर्तबा दूरियाँ
हिम्मत है, मुहब्बत है
चाँद को पाने की चाहत भी है
चकोरी बन के भी
व्यर्थ ही मेरे हर प्रयास हैं
ये कविता उदास है
एक तुम्हारा एहसास नहीं
तो छंदों में ताल नहीं
गीतों में बोल है सिर्फ
कोई लय नहीं
शब्द तो है, पर भाव नहीं
मैं भी हूँ, तुम भी हो
फिर भी
साथ -एक कयास है
ये कविता उदास है |
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